रतलाम ‘ई’-नागदा खंड में 38 किमी लंबी ऑटोमैटिक सिग्नलिंग का सफलतापूर्वक कमीशन
रतलाम। पश्चिम रेलवे के रतलाम मंडल ने रेलवे सिग्नलिंग प्रणाली के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की है। ट्रेनों के सुरक्षित, समयबद्ध और अधिक क्षमता के साथ संचालन की दृष्टि से नागदा-गोधरा रेलखंड में पारंपरिक सिग्नलिंग सिस्टम के स्थान पर ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली स्थापित करने का कार्य प्रगति पर है। इसी क्रम में कांसुधी से पिपलोद के बीच लगभग 28 किमी खंड में पहले ही ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम का सफलतापूर्वक कमीशन किया जा चुका था।
इस कार्य को आगे बढ़ाते हुए 6 सितम्बर को रतलाम ‘ई’ केबिन से नागदा के मध्य लगभग 38 किमी लंबे खंड में एक साथ ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली का कमीशन कर रतलाम मंडल ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। यह कमीशनिंग कार्य मंडल रेल प्रबंधक अश्वनी कुमार के दूरदर्शी नेतृत्व तथा वरिष्ठ मंडल संकेत एवं दूरसंचार इंजीनियर (समन्वय) आरएस मीना एवं मंडल संकेत एवं दूरसंचार इंजीनियर (स्पेशल वर्क्स) दिव्या पारिक के मार्गदर्शन में हुआ। इस कार्य को केवल 6 घंटों की रिकॉर्ड समयावधि में छह स्टेशनों-रतलाम ‘ई’, बांगरोद, रूनखेड़ा, खाचरोद, बेड़ावन्या और नागदा पर पूर्ण किया गया। साथ ही रतलाम मंडल में ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नलिंग की कुल कवरेज 28 किमी से बढ़कर 66 किमी हो गई है। यह पश्चिम रेलवे में अपनी तरह की पहली घटना है, जब इतने बड़े खंड को एक साथ ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली से सुसज्जित किया गया है।
विजुअल डिस्प्ले यूनिट की व्यवस्था
नवीन सिग्नलिंग प्रणाली में ट्रेन संचालन की दक्षता बढ़ाने हेतु इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग विजुअल डिस्प्ले यूनिट एवं ऑटो सेक्शन इंडिकेशन विजुअल डिस्प्ले यूनिट की व्यवस्था की गई है। विश्वसनीय एक्सल काउंटिंग और ट्रेन डिटेक्शन के लिए सीमेंस कंपनी द्वारा निर्मित मल्टी सेक्शन डिजिटल एक्सल काउंटर का प्रयोग किया गया है। साथ ही पावर सप्लाई के लिए 100 प्रतिशत रेडंडेंसी के साथ आईपीएस आधारित प्रणाली लागू की गई है, जिसमें पावर, मीडिया और सेंसर के लिए पूर्ण बैकअप की सुविधा उपलब्ध है।
यह प्रणाली ऊर्जा खपत को भी कम करती है
ऑटोमैटिक सिग्नलिंग प्रणाली से ट्रेन संचालन की सुरक्षा में वृद्धि होती है। यह प्रणाली अधिक ट्रेनों के संचालन की अनुमति देती है और कम समय में अधिक गाड़ियों का परिचालन संभव बनाती है। इसमें मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता कम होती है, जिससे संचालन त्रुटिहीन बनता है। डेटा लॉगिंग एवं रीयल-टाइम मॉनिटरिंग की सुविधा से संपूर्ण निगरानी प्रक्रिया अधिक प्रभावशाली बनती है। यह प्रणाली ऊर्जा की खपत को भी कम करती है और आधुनिक तकनीक के साथ रेलवे को भविष्य के लिए तैयार करती है। ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नलिंग प्रणाली रेलवे संचालन को सुरक्षित, तीव्र, सटीक और भविष्य में उच्च गति व अधिक आवृत्ति वाली ट्रेनों के संचालन के लिए उपयुक्त बनाती है। यह निःसंदेह आधुनिक रेलवे की रीढ़ है। इस सफलता का श्रेय रतलाम मंडल के संकेत एवं दूरसंचार विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मेहनत, योजना और विभिन्न विभागों के बीच उत्कृष्ट समन्वय को जाता है।





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