भोपाल। मध्य प्रदेश में क्राइम पर कंट्रोल पाने के लिए जल्द ही गैंगस्टर एक्ट लागू होगा। मप्र को गैंगस्टर एक्ट देश में सबसे अधिक कठोर होगा। इसके लिए एक ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है जिसे विधानसभा के शीतकालीन सत्र नवंबर-दिसंबर में पेश किया जा सकता है। अगर विधानसभा में यह पास हो जाता है तो इसे फिर केंद्र में अनुमति के लिए भेजा जाएगा। प्रदेश में इस कानून को लागू करते हैं तो इससे अपराध पर लगाम लगेगी। वहीं प्रदेश में जो काले धंधे हो रहे हैं उनके ऊपर भी शिकंजा कसा जाएगा। जानकारी के अनुसार मप्र का गैंगस्टर एक्ट 2021 महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (मकोका) और उत्तरप्रदेश के गुंडा एक्ट से अब अलग होगा। इनके कुछ प्रावधान मप्र के गैंगस्टर एक्ट में शामिल नहीं होंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संकेत दिया है कि गैंगस्टर एक्ट के प्रावधानों को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा। मकोका और गुंडा एक्ट में हत्या या हत्या की कोशिश, प्रॉपर्टी का विवाद व धमकी, गोहत्या व अवैध खनन जैसे क्राइम को शामिल हैं। दोनों राज्यों की परिस्थिति के हिसाब से ये ठीक हैं, लेकिन मप्र की स्थिति के हिसाब से इन्हें मुफीद नहीं माना जा रहा। इन्हें हटाया जा सकता है, लेकिन मानव तस्करी, जहरीली शराब बेचना जैसे गंभीर अपराध जुड़ेंगे। लिहाजा नए सिरे से ड्राफ्ट तैयार होगा। गृह विभाग ड्राफ्ट तैयार करने के बाद विधि विभाग की राय लेगा और फिर इसे कैबिनेट में ले जाया जाएगा।
फांसी जैसे प्रावधान होंगे शामिल
मप्र का गैंगस्टर एक्ट कुछ मामलों में कठोर तो कुछ मामलों में नरम भी होगा। जानकारी के अनुसार इसमें फांसी जैसे प्रावधान शामिल होंगे। गंभीर व संगठित अपराध और इसके आदतन अपराधियों को गैरजमानती धाराओं में पकड़ा जा सकेगा। एक्ट गैरजमानती हो सकता है, चार्जशीट जमा करने और रिमांड अवधि बढ़ाई जा सकती है। अधिकतम फांसी की सजा का भी प्रावधान रखने पर बात हो रही है। संगठित अपराधों में सजा सख्त होगी। जांच के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। पुलिस को आरोपी का रिमांड ज्यादा दिन का मिल सकेगा। गौरतलब है कि महाराष्ट्र का मकोका 1999 में बना था। इसका उद्देश्य संगठित और अंडरवर्ल्ड से जुड़े अपराधों पर अंकुश लगाना था। मसलन, अंडरवर्ल्ड से जुड़े अपराधी, अपहरण, हत्या या हत्या की कोशिश, उगाही सहित ऐसा कोई भी गैरकानूनी काम, जिससे बड़े पैमाने पर पैसे बनाए जाते हैं। वहीं उप्र का गुंडा एक्ट में मानव तस्करी, गोहत्या जैसे अपराध रोकने के प्रावधान है।
पहले विधेयक को नहीं मिली थी मंजूरी
गौरतलब है कि मप्र में 25 मार्च 2010 को तत्कालीन गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने मप्र आतंकवादी एवं उच्छेदक गतिविधि तथा संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक विधानसभा में पेश किया था, कांग्रेस ने इस विधेयक का भारी विरोध किया, बावजूद इसके यह बहुमत से पास हो गया। विधानसभा से इसे मंजूरी के लिए केंद्र भेज दिया गया था। लेकिन तब केंद्र में यूपीए की सरकार थी और राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील थीं। तीन साल तक केंद्र की ओर से इस विधेयक को मंजूरी नहीं दी। 2014 में केंद्र में एनडीए सरकार आने के बाद भी इस विधेयक को मंजूरी नहीं दी गई। लेकिन इस बार केंद्र में भी भाजपा की सरकार है इसलिए एक्ट को मंजूरी मिलने में दिक्कत नहीं होगी।
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Bahut badia
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